Wednesday, June 6, 2012

आंशुओं को अपनी आँखों से बहा कर देखो 


महबूबा की आँखों से निकलो,आंशुओं से भरे आँखों को देखो 
दर्द क्या होती है?आंशुओं को अपनी आँखों से बहा कर देखो.
घरों में जीने वाले लोगों, गलियों में भटकते लोगों को देखो 
दर्द क्या होती है? आंशुओं को अपनी आँखों से बहा कर देखो.


जिंदगी की परिभाषाओं की खोज में, जीवन बर्बाद करने वालों
घटाटोप अँधेरे में जीने के लिए लड़ने वालों को देखो.
दूसरों के किये पे इतराने वालों, गुणगान करने वालों
अपनी खून जला कर जीने वालों को देखो.

परियों के बाँहों में,परियों के ख्वाबों में रात बिताने वालों
भूखे पेट सड़क किनारे, चाँद को रोटी समझ तकने वालों को देखो.
छोटी-छोटी कठिनाईयों से जीवन हारने वालों
दुखों के पहाड से गुजरने वालों को देखो.
-अभय